कुछ छोड़ गया...

एक वरिष्ठ पत्रकार इस दुनिया में नहीं हैं....आज उनकी याद आ गई....याद वो भी बात आ गई...जो अभी तक मेरे सीने में दफन थी....कुछ चंद करीबी साथियों को ही ये मालूम थी....ये किस्सा अहसास कराता है कि जीते जी एक पत्रकार की हालात क्या होती है और उसके मरने के बाद क्या कुछ झेलना पड़ता है उसके परिवार को.....मौत पर किसी का बस नहीं है....इसलिए मैं बिंदास होकर जीता हूं..खैर ये किस्सा याद दिलाता है कि किसी अखबार का मालिक अपने वरिष्ठ पत्रकार के प्रति क्या धारणा रखता है....किसी मालिक की धारणा कितनी दुर्दांत हो सकती है...ये तो इस किस्से के बाद पता चलेगा....हुआ यूं कि कुछ समय पहले वरिष्ठ पत्रकार की मौत हुई, तो तमाम लोग शोक संतप्त परिवार को सात्वंना देने पहुंचे...जिस अखबार में वो सज्जन काम करते थे, उसके मालिक भी दो दिन बाद उनके घर सात्वनां देने पहुंचे अखबार के मालिक ने पत्रकार की धर्मपत्नी से मौत पर अफसोस जताया, यहां तक तो ठीक था। लेकिन अखबार के मालिक ने जो अगले बोल अपने मुंह से निकाले....उससे वहां मौजूद लोग हक्के बक्के रह गए....उस शख्स ने पत्रकार की पत्नी से क्या कहा....आपको मालूम चलेगा, तो आपके मुंह से उस मालिक के लिए गालियां ही निकल पडेंगी.....उन्होने घर में नजर दौडाने के बाद पत्रकार की पत्नी से कहा था कि ' वो तुम्हारे लिए कुछ छोडकर गया है...या नहीं....या वो फिर ऐसे ही मार्केट में बदनाम था..... ' आगे क्या हुआ....ये बताने लायक नहीं है....लेकिन उस मालिक की गंदी सोच से मुझे भी नफरत हुई...क्योंकि उन दिवंगत पत्रकार की इमानदारी की कसम लोग आज भी खाते हैं.....

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