किसकी नज़र लगी ?

जयपुर.....नाम ज़ेहन में आते ही ....एक सुंदर शहर की कल्पना....हकीकत....लोग देश विदेश से यहां घूमने आते हैं.....हर कोई इस शहर को देखने की तमन्ना रखता है....लेकिन लगता है कि पिछले कुछ समय से इस शहर को किसी की बुरी नजर लग गई है....जब मैं हापुड में चौथी क्लास में पढ़ता था, तो स्कूल वाले टूर पर जयपुर ले गए थे....गुलाबी नगरी देखने के लिए जहाज से वहां जाने का पहला मौका था....जयपुर घूमा फिरा और फिर बाकी सहपाठियों के साथ ढेर सारी यादें लेकर हापुड लौट आया....वक्त के साथ यादें धूमिल होती चली गई...जयपुर को जानने और देखने का फिर दोबारा मौका मिला अभी छह साल पहले....मेरी साली की शादी थी और उसके ससुराल वालों ने कहा कि हम तो जयपुर से ही शादी करेंगे.....मेरे ससुर साहब ने मेरी राय जानी तो मैंने उन्होने सहमति दे दी.....जयपुर में पूनम की शादी धूमधाम से हुई और मैं शादी के बाद दो दिन और रुका और पत्नी व बच्चों को जयपुर की हर जगह दिखाई....किले से लेकर महल तक.....और बाजारों से लेकर...चिडियाघर तक..फिल्म भी देखी.....खैर, इस तरह जयपुर से अब स्थायी तौर पर एक रिश्ता जुड़ गया....पूनम हर दो तीन महीने में वहां आने का न्यौता देती..... लेकिन पूनम की शादी के दो साल बाद फिर अवसर मिला.....शादी की साल गिरह आ रही थी......सेलिब्रोशन का प्लान चल रहा था, इस बीच पूनम ने जयपुर में सेलिब्रोशन का प्रस्ताव रख डाला.....लगे हाथ आफिस से छुटटी मिल गई... मेरी बेटी साक्षी और बेटे गुन्नू ने इस बार जिद कर डाली, पापा आप जब छोटे थे, तो आप भी तो प्लेन से गए थे, हमें भी जयपुर प्लेन से जाना है.....बात वाजिब थी.....इसलिए मैंने बड़ा बजट होने के बाद भी हिम्मत कर डाली.....जयपुर गया और वहां फाइव स्टार होटल की रुफ पर शानदार सेलिब्रोशन मनाया..... होटल की छत से जयपुर का शानदार नजारा....खाने पीने का दौर.....ऐसे में साढू, साली और उनके रिश्तेदारों के अलावा कुछ खास मेहमान और भी थे.....सेलिब्रोशन के अगले दिन इच्छा हुई कि वहां का प्रेस क्लब देखा जाए....दिल्ली प्रेस क्लब का मैंबर होने के नाते वहां जा सकता था....इसलिए अगले दिन की शाम वहां बिताई....खैर जयपुर से दिल्ली लौट आए.....फिर कुछ नई यादें लेकर.....साढू और साली से अक्सर पर फोन पर बात हो तो अगला प्रोग्राम फिर बनाने की बात होती.....इस तरह जयपुर से और लगाव हो गया.....यूं तो जयपुर में स्थानीय स्तर पर तमाम घटनाएं होती हैं....लेकिन दिल्ली में पत्रकारिता के दौरान एक दिन पहला मौका मिला जयपुर जाने का....मुददा था राजस्थान में गुर्जर आंदोलन का....राजस्थान इस आंदोलन से जल उठा.....जगह जगह आगजनी और हिंसा....ओबी वैन के साथ जयपुर गया और वहां से फिर आगे आंदोलनकारियों के बीच......ये पहला मौका था जब कई दिनों तक आंदोलन के कारण जयपुर अशांत रहा.....अभी कुछ महीने ही बीते थे कि फिर एक दिन खबर आती है कि जयपुर में सीरियल ब्लाट हो रहे हैं, फटाफट फिर जयपुर की दौड़....फिर वहां कई दिनों तक अपना और बाकी मीडिया का डेरा....आतंकियों ने इस शहर का अमन चैन छिन लिया.....और ये साफ गया कि अब जयपुर भी आतंकियों के निशाने पर है.....खैर अब फिर इंडियन आयल कारपोरेशन के डिपो में भीषण अग्निकांड जयपुर के लिए एक आपदा बनकर सामने आया....मुझे लग रहा है कि जयपुर को वाकई किसी की नजर लग गई है। अब कभी साली से बात होती है तो यही पूछता हूं कि वहां सब कुछ ठीक है...... दिनभर की चिंताओं में अब जयपुर भी ? आखिर क्यों.....

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