एकदम यकीन मत करो...

दिल्ली में थाने के अंदर सामूहिक बलात्कार की घटना सुर्खियों में है। यहां आज मैं आपको एक पुराना किस्सा बताने जा रहा हूं....सुनने में बड़ा अजीब सा लगेगा....लेकिन ये सच है। ये घटना बताती है कि कोई व्यक्ति किसी को फंसाने के लिए किस तरह पुख्ता केस बनाता है। ये घटना दिल्ली की ही है और रेप के केस में फंसाने वाला शातिर व्यक्ति कोई और नहीं, दिल्ली पुलिस का ही इंस्पेक्टर दत्ता था। जो आखिरी वक्त न्यू फ्रेंडस कालोनी में तैनात रहा। शुरुआत करते हैं....इंस्पेक्टर दत्ता से.....शरीफ से दिखने वाले इस इंसान से मेरा काफी समय तक वास्ता रहा....बहुत डिसीप्लीन मेंटन करता था.....उम्र चालिस बयालिस साल रही होगी.....मेरे एक साथी को पता नहीं कहां से खबर मिल गई कि वो दिलफेंक आशिक है और उसका पश्चिमी दिल्ली की एक लड़की पर दिल आया हुआ है और उसके पीछे पड़ा है.....लड़की के घर पर एक दिन हंगामा हुआ और वो खबर मेरे साथी ने अखबार में छाप दी....दत्ता ने अगले दिन मुझसे संपर्क कर एक तरफा स्टोरी छापने का उलाहना दिया...मैंने छानबीन की तो मामला सही था...दत्ता से ना केवल लड़की के घरवाले, बल्कि लड़की के पड़ोसी तक परेशान थे.....खैर दत्ता का ये चेहरा मेरे लिए नया था.....कुछ दिनों तक क्राइम रिपोर्टर के बीच ये बात चर्चा का विषय नहीं बनी रही....फिर सभी भूल गए....कुछ समय बाद एक दिन सेंट स्टीफन के पास एक विकलांग महिला के साथ बलात्कार सामने आया....पीड़ित महिला ने आरोप लगाया कि उसे फलां नंबर की कार में अगुवा किया गया और फिर रेप के बाद सेंट स्टीफन के पास फेंक दिया गया....पुलिस ने बयान के आधार पर मामला दर्ज कर लिया....मीडिया के लिए खबर बन गई और पुलिस दवाब में आ गई....अगले दिन पुलिस ने नंबर के आधार पर कार को ट्रेस कर लिया और उसके मालिक को ढूंड कर गिरफतार कर लिया। गिरफतार किया गया शख्स कोई मामूली आदमी नहीं, बल्कि बीजेपी के एक ठीक ठाक नेता का भतीजा था....इसलिए बचाव में कई लोग आ गए....पुलिस कतई प्रभावित नहीं हुई....आखिरकार जब नेता जी और उनका भतीजा लगातार ये कहते रहे कि बलात्कार की घटना से उनका कोई लेना देना नहीं है.....उन्हे फंसाया जा रहा है....तो शुरु में पुलिस ने यही कह दिया कि आरोपी का मेडिकल परीक्षण कराया गया है, रिपोर्ट में उसके शामिल होने की पुष्टि हो गई है.....नेताजी के लिए ये चौंकाने वाली बात थी......लिहाजा बात ये उठी कि दोबारा से मेडिकल कराया जाए और आरोप लगाने वाली लड़की के बारे में तहकीकात की जाए.....तब जांच क्राइम ब्राांच को सौंप दी गई....क्राइम ब्राांच ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया...सच जो सामने आया, वो कुछ इस तरह सा था....दरअसल नेताजी के भतीजे की व्यवसायिक रंजिश चल रही थी और उसे फंसाने के लिए एक बिजनेसमैन ने इंस्पेक्टर दत्ता के शातिर दिमाग का सहारा लिया था। दरअसल नेताजी के भतीजे को फंसाने के लिए एक गरीब मजबूर लड़की को ढूंडा गया, जो अपाहिज थी...पैसे के लालच में वो गई....फंसाने वालों ने नेताजी के भतीजे का ब्लडग्रुप पता लगा लिया और उसी ग्रुप का सीमन हासिल किया और फिर उस सीमन को लड़की के इंजेक्ट कर दिया गया....जो मेडिकल जांच के दौरान पकड़ में आ गया....और नेताजी के भतीजे की गिरफतारी का कारण बन गया....जांच के दौरान लड़की का झूठ एक पे एक करके पकड़ा गया....लड़की ने जो अपना पता लिखवाया था....वो भी गलत पाया गया...पुलिस ने तब उल्टा उन सभी के खिलाफ मामला बना दिया और नेताजी के भतीजे को छोड़ दिया....अब उसी क्राइम ब्राांच को इंद्रपुरी वाली घटना का केस सौंपा गया है। इसलिए क्राइम ब्राांच के अधिकारी भी किसी हडबडी में नहीं है.....उनके पास इस तरह के ही उलझे हुए मामले सामने आते हैं। क्या इस नई घटना में कोई साजिश छिपी है.....आपको बता दें कि दिल्ली के एक थाने में महिला के साथ बलात्कार की खबर ने ना केवल लोगों का गुस्सा भड़काया, बल्कि मीडिया के लिए दिन भर की बड़ी खबर पैदा कर दी। लोग भड़के और रात में थाने पर शुरु हुआ पथराव दिन में भी जारी रहा। दिन भर उपद्रव चलता रहा....गाडियों के शीशे भी तोड़े गए....पथराव से एक न्यूज चैनल की ओबी वैन और दूसरे चैनल का एक रिपोर्टर भी पथराव की चपेट में आया....महिला का मेडिकल परीक्षण कराया गया....लेकिन शुरुआती रिपोर्ट में कोई मारपीट या बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई....भीड़ भड़की रही....मामले को निपटाने के लिए बिना नतीजा आए एसएचओ को लाईन हाजिर कर जांच क्राइम ब्राांच को सौंप दी गई। खैर सच सामने आना बाकी है और कोई अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी। लेकिन यहां ये भी गौर करने लायक बात है कि दिल्ली में ऐसा ये कोई पहला मामला नहीं है। पहले भी पुलिस वालों पर रेप के आरोप लगते रहे। पुलिस वाले भी दूध के धुले नहीं है.....कई मामलों में इस तरह के आरोप झूठे पाए गए...यानी पुलिस वालों को फंसाने के लिए इस तरह के आरोप मढे गए

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