वो चला गया.......

मां, बाप की सेवा का मौका हर किसी को नहीं मिलता.....उन लोगों को मैं बहुत भाग्यशाली मानता हूं...जिन्हे ये मौका मिलता है....ये मौका मुझे मिला....आज मुझे ये सब इसलिए याद आ रहा है....क्योंकि मेरे एक साथी ने अपने ब्लॉग पर अपने मन की बातें लिखीं है। लिखीं हैं जिस तरह....उसमें एक पुकार है ....एक बेटे का जज्बात भी ...खुद को रोक नहीं पा रहा....अपने पिता से दूर....उस पिता से....जिसने उन्हे अंगुली पकड़कर चलना सिखाया...अब पिता बीमार हैं.....बेटा उनकी सेवा करना चाहता है...भागदौड़ की इस जिंदगी में.... वो उनसे मीलों दूर शहर में अकेला..... मैंने साथी का ब्लाग पढा और मुझे अपने माता पिता का चेहरा सामना आ गया....मुझे याद है दोनों को बीमारी ने ही लील लिया था....पिता का इलाज दिल्ली के अपोलो अस्पताल में कराया...इलाज हैसियत से बाहर था....लेकिन उन्हे बचाने की तमन्ना हम तीनों भाईयों में थी....पूरा परिवार चाचा ताउ सभी ने साथ दिया...चौबिस दिन तक वो अस्पताल में रहे....लेकिन उन्हे बचाया नहीं जा सका। वो अंतिम समय तक वेंटीलेटर पर रहे....डॉक्टरों ने पंद्रह दिन बाद ही जवाब दे दिया था....डॉक्टरों ने हम तीनों भाईयों से कहा कि पांचो आर्गन खत्म हो गए हैं.....इसलिए वेंटीलेटर हटाना होगा.....इसके लिए हमें साईन करने होंगे....लेकिन हमें उम्मीद की किरण आखिरी वक्त में भी नजर आ रही थी...इसलिए हमने सोचा कि पिता रहें या ना रहें...लेकिन वेंटीलेंटर हटा लिया....तो जीवन भर इस बात का मलाल रहेगा कि हमने पिता से आखिरी सांस भी छीन ली....हम भाईयों की जिद के कारण ही डॉक्टरों ने अंतिम समय तक वेंटीलेटर लगाए रखा.....कहने के लिए आईसीयू में मशीनों के सहारे जिंदा थे....हम देखकर आईसीयू से बाहर आ जाते थे...पिता बोल नहीं पाते थे....मुझे याद है कि जब सभी उम्मींदे खत्म हो गई तो मैंने कालकाजी मंदिर में पूजा की...महंत जी से पिता के स्वस्थ होने के लिए कुछ विशेष पूजा अर्चना करने की गुजारिश की.....महंत जी ने विशेष पूजा की और अगले दिन वो अस्पताल आए...महंत जी ने आईसीयू में पिता को देखा और बाहर आकर उन्होने एक फूल दिया और बोले इसे रात में पिता के तकिए के नीचे रख देना.....सुबह कुछ ना कुछ चमत्कार जरुर हो जाएगा....सुबह केवल यही चमत्कार हुआ कि पिता दो मिनट के लिए होश में आए और हम सभी परिवारवालों को उन्होने देखकर हाथ जोड़े......वो बोल नहीं सकते थे, क्योंकि मुंह में वेंटीलेटर लगा था.....शायद वो कहना चाहते थे कि वो अब जा रहे हैं.....सभी मिलजुल कर रहना....अपनी मां का ख्याल रखना..... वो लम्हा घर का कोई भी सदस्य भुला नहीं पाएगा.....थोड़ी देर बाद नर्स ने दवाईयों का पर्चा हाथ में थमा दिया...हम सभी लोग आईसीयू से बाहर आ गए।मुझे याद है धड़कन के लिए भी डोपामीन इंजेक्शन लगाया जाता था...इंजेक्शन के असर से ही उनकी पल्स तेज होती थी.....तमाम कोशिशों के बाद भी पिता को बचाया नहीं जा सका..... उनके निधन पर तमाम रिश्तेदार नातेदार जुडे....हर कोई यह कहता कि बेटा तुम भाग्यशाली जो तुम्हें अपने पिता की सेवा का मौका मिला..... मेरी पत्नी ने पिता के इलाज से लेकर बाद तक की सभी जिम्मेदारियों में मेरा हाथ बटाया......पिता के निधन के बाद हम भाईयों की जिम्मेवार मां को संभाला की थी....मां संभल तो गई.....लेकिन दो साल का वक्त लगा....दो साल तक बाबूजी की कमी सभी को महसूस होती रही, आज भी महसूस होती है.....खैर छह साल बाद माता जी बाथरुम में फिसल गई और उनकी कूल्हे की हडडी टूट गई..... हडडी जोड़ने के लिए आपरेशन की तैयारी चल रही थीं....तभी पता चला कि उनकी किडनी तेजी से डेमेज होने लगी है.....बिस्तर पर पड़े रहने के कारण ये सब हुआ....मां को हम तीनों भाई दिल्ली एम्स में लेकर आए....बमुश्किल तुंरत दाखिला मिला और तुरंत इलाज भी शुरु हुआ....लेकिन आपरेशन के बाद भी ठीक ना हो सकी.....उन्हे डायलासिस पर रखा गया...कुछ समय बाद डॉक्टरों ने जवाब दे दिया....मां को घर ले आया गया....जहां कुछ समय बाद उन्होने दम तोड़ दिया.....आज मां बाप की यादें ही शेष हैं....उनसे जुडे तमाम किस्से हैं.....उनका डॉटना फटकारना अब नहीं सुन पाता हूं....अब अपनी नई दुनिया है.....तीन बच्चे हैं....अब उनकी ही डॉट फटकार सुनता हूं...... ......चलते चलते अपने साथी से कहना चाहूंगा कि मैं उसके साथ हर तरह से हूं और अपनों के लिए उसकी जो भावनाएं, उसकी कद्र करता हूं....
मैं ये बताना चाहूंगा कि मेरे साथी ने अपने ब्लॉग में क्या लिखा है....
अब जाना होगा
समय का चक्र
कह रहा है
बार बार
शायद वहां किसी को जरुरत हैं मेरी
एक उम्मीद है उसे
मेरे से
उस उम्मीद को पूरा करने
उसकी खुशी की शातिर
मुझे जाना होगा
अब तक जिया था अपने लिए
अब उसके लिए लिए जीना होगा
मुझे जाना होगा
हार रहे इंसान के लिए
मुझे जितना है उसे
उसे जितने के लिए
उसे खुशी देने के लिए
मुझे जाना होगा
उसकी अंगुली पकड़कर चलना सिखा था
आज उसे संभालने के लिए मुझे जाना होगा
अपना फर्ज निभाना होगा
बहुत सपने है उसके अभी
उन्हे पूरा करवाना है मुझे
इसं संकल्प के साथ
मैं कह रहा हूं
मुझे जाना होगा
समय का चक्र कह रहा है
बार बार मुझे
जाना होगा.....

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