शायद मैं गलत होंगा....

मैं और मेरा बडा बेटा.....गुन्नू नाम है, दो हजार दो माडल का है वो......कल ही साइकिल चलानी सीखी है उसने.....मैं शाम को उसे अपनी कालोनी के पार्क में ले गया....वहां उसे साइकिल चलाते देखकर मुझे अपना बचपन याद आ गया.....मेरे पास भी एक साइकिल थी जब मैं छह सात साल का था....मेरे पास लाल रंग की सनराइज कंपनी की साइकिल थी.....जब दोपहर में मां सो जाती तो मैं चुपचाप साइकिल निकालता और भरी दोपहरी में घंटे दो घंटे साइकिल चलाता था....मुंह लाल हो जाता था.....एक दिन वो भी आया, जब में छोटी उम्र में ही बड़ी साइकिल चलाने लगा, पहले कैंची ड्राइव...कैंची ड्राइव के बारे में बताना चाहूंगा....ये वो ही शख्स चला सकता है...जो साइकिल की गददी पर ना बैठ पाए...यानी कद छोटा है, उसके लिए एक पैर साइकिल के एक पैंडल पर और दूसरा पैर डंडे से नीचे विपरीत दिशा वाले पैंडल पर और एक हाथ से हैंडल पकड़ना होगा और दूसरे हाथ से गददी या डंडा, जिन लोगों ने कैंची ड्राइव की होगी उनको एक चोट जरुर लगी होगी.....ये बात कल मैंने अपने बेटे को बताई....एक बार के लिए वो समझा नहीं कि कैंची ड्राइविंग क्या होती है.....उसको मैंने अपने पैर में लगी चोट की कहानी सुनाई और पैर में मौजूद उस जख्म को भी दिखाया....दिखाने का मकसद यही था कि गुन्नू आगे चलकर कोई मेरी तरह का जोखिम ना उठाए....लेकिन उसने चोट देखने के बाद जो कुछ पूछा, वो एक बच्चे की शरारत ही कही जा सकती है, गुन्नू ने कहा कि पापा मेरे ऐसी चोट कब लगेगी....आपके तो एक ही चोट लगी है....मैं तो दो चोट का निशाना बनाउंगा....मैंने उसे समझाया....बेटा चोट लगना अच्छा नहीं होता है....तो गुन्नू का जवाब था कि मेरा मतलब ये है कि मैं कैंची ड्राइविंग कब सिखूंगा....यानी बड़ी साइकिल चलानी कब शुरु करुंगा....खैर मैंने उसे समझाया कि जब बडे हो जाओगे तो साइकिल दिला दूंगा.....गुन्नू ने कहा कि पापा बड़े होकर तो मैं बाइक लूंगा....खैर दिन छिप गया और मैंने गुन्नू से घर लौटने को कहा...घर लौट आए....थोड़ी देर बाद घर की बैल बजी, पूछा कौन है, तो जवाब आया माली आया है...मेरी पैट शैली भोंकने लगी....गुन्नू मेरी आंखो से ओझल था..सोचा कि यहीं कहीं होगा....मैं आवाज लगाई.. जवाब आया....पापा में लॉन में हूं....खैर में निÏश्चत हो गया....लेकिन थोड़ी देर बाद माली ने आवाज लगाई....साहब आपका बेटा परेशान कर रहा है...मैं बाहर निकला तो देखा कि गुन्नू बाबू माली की साइकिल चलाने की कोशिश कर रहा था...मैंने उसे मना किया तो वो बोला पापा आपने अभी कैंची ड्राइविंग की बात बताई थी...इसलिए मैं सोच रहा था कि चलाकर देखता हूं....खैर मैंने उसे डांट डपट कर अंदर बुला लिया...और गुन्नू को धमकी दी कि अब आगे से अपनी बचपन की बातें नहीं बताउंगा....मुझे पछतावा भी हुआ कि बच्चों से इस तरह की बातें शेयर नहीं करनी चाहिए...शायद मैं गलत होंगा....

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