माउंट एवरेस्ट पर चीन ने बनाया अड्डा, 5G तकनीक से कई देशों पर रखेगा नजर - Patronavis


कोरोना वायरस के इस माहौल में भी चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. उसने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर 5G नेटवर्क स्थापित किया है. जिसे लेकर एक्सपर्ट काफी चिंता में हैं. एक्सपर्ट का दावा है कि 5G नेटवर्क के जरिए चीन भारत समेत कई पड़ोसी देशों की निगरानी कर सकता है. कई अन्य ऐसे कार्यों को अंजाम दे सकता है,  जो खतरनाक साबित हो सकते हैं.




5G नेटवर्क स्थापित वाले स्टेशन बनाए 

चीन ने माउंट एवरेस्ट पर 5300 मीटर और 5800 मीटर की ऊंचाई पर 5G इंटरनेट नेटवर्क स्थापित किया है. एवरेस्ट पर तीन 5G नेटवर्क वाले स्टेशन बनाए गए हैं. तीसरा स्टेशन 6500 मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है. यह काम चाइना मोबाइल और हुवेई कंपनी ने मिलकर किया है. चीन का दावा है कि अब एवरेस्ट पर प्रति सेकंड 1 जीबी का इंटरनेट स्पीड मिलेगी. ऐसा माना जा रहा है कि एवरेस्ट पर तीन 5G नेटवर्क स्टेशन बनाने में चीन ने करीब 4.20 लाख डॉलर यानी 3.17 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.  
बीजिंग में टेलीकॉम के एक्सपर्ट जियांग लीगैंग ने कहा कि माइनस तापमान में नेटवर्क कैसे काम करेगा यह कह पाना मुश्किल है. क्योंकि इतने तापमान में फाइबर केबल फट जाएंगे. लेकिन, चाइना मोबाइल के प्रवक्त जियांग ने कहाकि हमने इस समस्या का इलाज खोजकर स्टेशन बना दिया है. 



5G तकनीक से कई देशों पर रखेगा नजर


जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में चाइनीज स्टडीज के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली ने एक न्यूज एजेंसी से कहा कि चीन हमेशा से ही तिब्बत और एवरेस्ट पर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश करता रहा है. एवरेस्ट बेहद दुर्गम है और चीन की तरफ से इसका बहुत कम इस्तेमाल होता है. वहां से पर्वतारोही चढ़ाई नहीं करते हैं.  कोंडापल्ली ने यह भी बताया कि चीन ने एवरेस्ट पर अपनी तरफ 5जी नेटवर्क लगाया है. इसे समुद्र की सतह से हजारों मीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया है. यह एक विवादास्पद कदम है क्योंकि इससे पूरा हिमालय उसकी जद में आ सकता है. 


राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा 


चीन इसके जरिए भारत, बांग्लादेश और म्यांमार पर नजर रख सकता है.  चीन का दावा है कि वह माउंट एवरेस्ट पर 5G नेटवर्क इसलिए लगा रहा है ताकि वैज्ञानिक रिसर्च हो सके, मौसम की निगरानी और पहाड़ पर संचार स्थापित हो सके.माउंट एवरेस्ट पर ज्यादातर पर्यटन और पर्वतारोही नेपाल की तरफ से जाते हैं. अब टेक्नोलॉजी की मदद से चीन तिब्बत में मौजूद एवरेस्ट के हिस्से को विकसित करने की कोशिश कर रहा है. हो सकता है कि भविष्य में यह चीन अपनी तरफ से प्रयास करे और नेपाल को एवरेस्ट के मामले में अपने साथ मिला ले. श्रीकांत कोंडोपल्ली ने कहा कि चीन के 5G नेटवर्क स्टेशन पर मिलिट्री कंपोनेंट है. यह भारत, बांग्लादेश और म्यांमार के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. क्योंकि मिलिट्री कंपोनेंट का उपयोग चीन किस तरह करेगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. 


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