एक प्राचीन मंदिर जहाँ स्त्री रूप में होती है हनुमान जी की पूजा


सुनकर आश्चर्य लगता है, लेकिन दुनिया में एक मंदिर ऐसा भी है जहां हनुमान पुरुष नहीं बल्कि स्त्री के वेश में नजर आते हैं। यह प्राचीन मंदिर छत्तीसगढ़ में बिलासपुर के पास है। हनुमानजी के इस दरबार से कोई निराश नहीं लौटता। भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी होती है।

बिलासपुर से 25 कि. मी. दूर एक स्थान है रतनपुर। इसे महामाया नगरी भी कहते हैं। यह देवस्थान पूरे भारत में सबसे अलग है। इसकी मुख्य वजह मां महामाया देवी और गिरजाबंध में स्थित है।

चमत्कारिक प्रतिमा
इसका मुख दक्षिण की ओर है और साथ ही मूर्ति में पाताल लोक़ का चित्रण भी है।मूर्ति में हनुमान को रावण के पुत्र अहिरावण का संहार करते हुए दर्शाया गया है।यहां हनुमान के बाएं पैर के नीचे अहिरावण और दाएं पैर के नीचे कसाई दबा हुआ है। हनुमान के कंधों पर भगवान राम और लक्ष्मण की झलक है उनके एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में लड्डू से भरी थाली है।

पौराणिक कथा
हनुमान के नारी रूप में मूर्ती के होने के पीछे एक कथा प्रचलित है, ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में रतनपुर के एक राजा थे जिनका नाम पृथ्वी देवजू था। राजा हनुमान जी के भक्त थे। राजा को एक बार कुष्ट रोग हो गया। इससे राजा जीवन से निराश हो चुके थे। एक रात हनुमान जी राजा के सपने में आए और मंदिर बनवाने के लिए कहा। मंदिर निर्माण का काम जब पूरा हो गया तब हनुमान जी फिर से राज के सपने में आए और अपनी प्रतिमा को महामाया कुण्ड से निकालकर मंदिर में स्थापित करने का आदेश दिया।
जब राजा ने महामाया कुंड में भगवान हनुमान की प्रतिमा देखी तो वह नारी रूप में थी। राजा ने भगवान के आदेश के अनुसार भगवान हनुमान की उसी नारी रूपी प्रतिमा की स्थापना कर दी। इस मूर्ती के दोनो कंधों पर राम और लक्ष्मण बैठे हुए हैं, और हनुमान के पैरों के नीचे दो राक्षस हैं। ऐसा माना जाता है कि हनुमान की कृपा से राजा ठीक हो गए थे। राजा ने लोगों की इच्छाओं को पूरी करने की प्रार्थना की थी जिसे हनुमान जी आजतक पूरी कर रहे हैं।

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An ancient temple in Raipur
where women are in the form of worship of Hanuman ji

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