पं मदन शलभ की याद में

सवेरा हुआ है,
किरण रोशनी की
महल पर पडी,

झोंपडी पे ना आई
ये कैसा सवेरा कि

बाकी अंधेरा
गगन तो हंसा

पर धरा हंस ना पाई

आदरणीय पं मदन शलभ की याद में

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