बीजेपी और कांग्रेस को 20,000 रुपये से अधिक राशि

कॉरपोरेट घरानों से BJP को मिला सबसे ज्यादा चंदा :ADR




देश के राजनीतिक दलों को पिछले चार साल के दौरान उद्योग घरानों से 956.77 करोड़ रुपये का चंदा मिला. यह राशि इन दलों को ज्ञात स्रोतों से प्राप्त कुल राशि की 89 प्रतिशत है. इसमें सबसे ज्यादा 705.81 करोड़ रुपये का चंदा भारतीय जनता पार्टी को मिला है.
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2012-13 से लेकर 2015-16 तक राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक दलों को कंपनियों और उद्योग घरानों से 956.77 करोड़ रुपये का चंदा मिला है.
इनमें भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा 2,987 कंपनियों से 705.81 करोड़ रुपये मिले हैं, जबकि कांग्रेस को 167 औद्योगिक घरानों से 198.16 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त हुआ है. यह जानकारी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की रिपोर्ट में दी गई है. यह रिपोर्ट पार्टियों द्वारा चुनाव आयोग को दी गई जानकारी पर आधारित है.
2012-13 से लेकर 2015-16 के बीच राष्ट्रीय स्तर के पांच राजनीतिक दलों को 20,000 रुपये से अधिक का कुल 1,070.68 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जिसमें से 89 प्रतिशत यानी 956.77 करोड़ रुपये उन्हें कंपनियों और उद्योग घरानों से प्राप्त हुआ.
उद्योग घरानों से इस दौरान राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को 50.73 करोड़ रुपये, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) को 1.89 करोड़ रुपये और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) को 18 लाख रुपये का चंदा मिला. रिपोर्ट में बहुजन समाजवादी पार्टी (बीएसपी) को शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि पार्टी ने कहा है कि उसे 2012-13 और 2015-16 के दौरान किसी भी दानदाता से 20,000 रुपये से अधिक का चंदा नहीं मिला है.
2012-13 से लेकर 2015-16 के बीच राष्ट्रीय स्तर के पांच राजनीतिक दलों को 20,000 रुपये से अधिक का कुल 1,070.68 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जिसमें से 89 प्रतिशत यानी 956.77 करोड़ रुपये उन्हें कंपनियों और उद्योग घरानों से प्राप्त हुआ.
 एडीआर की रिपोर्ट

एडीआर की इससे पहले जारी रिपोर्ट कहती है कि 2004-05 से 2011-12 के आठ साल में विभिन्न उद्योग घरानों ने राजनीतिक दलों को 378.89 करोड़ रुपये का चंदा दिया. यह राशि इन दलों को ज्ञात स्रोतों से प्राप्त कुल राशि की 87 प्रतिशत थी.
राजनीतिक दलों को हर साल उन्हें 20,000 रुपये से अधिक राशि देने वाले दानदाता का पूरा ब्योरा चुनाव आयोग को देना होता है.
 बीजेपी और कांग्रेस को  राशि


रिपोर्ट के मुताबिक, 2012-13 से लेकर 2015-16 के बीच बीजेपी और कांग्रेस को 20,000 रुपये से अधिक राशि दानस्वरुप देने वाले उद्योग घराने या कंपनियों का योगदान क्रमश: 92 प्रतिशत और 85 प्रतिशत रहा है.
सीपीआई और सीपीएम को मिलने वाला औद्योगिक अनुदान क्रमश चार प्रतिशत और 17 प्रतिशत रहा है. एडीआर के मुताबिक, राष्ट्रीय स्तर के दलों को सबसे ज्यादा चंदा 2014-15 में प्राप्त हुआ जब लोकसभा के चुनाव हुये. साल 2012-13 से लेकर 2015-16 के चार सालों में कुल जितना चंदा मिला, उसका 60 प्रतिशत अकेले 2014- 15 में चुनावी साल में मिला.
कम्युनिस्ट पार्टियों को यूनियनों से मिला चंदा

रिपोर्ट के मुताबिक, 2012-13 के दौरान कोई चंदा नहीं देने के बावजूद बाकी के तीन साल में सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट ने सबसे ज्यादा अनुदान दिया. इस ट्रस्ट ने तीन साल में 35 बार में कुल मिलाकर 260.87 करोड़ रुपये का चंदा दिया. इसमें बीजेपी को 193.62 करोड़ रुपये और कांग्रेस (आईएनसी) को 57.25 करोड़ रुपये दिये गये.
इसके बाद सबसे ज्यादा अनुदान देने वालों में दूसरा नंबर जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट का रहा. चार साल में इस ट्रस्ट ने बीजेपी को 70.7 करोड़ और कांग्रेस को 54.1 करोड़ रुपये का चंदा दिया. कम्युनिस्ट पार्टियों को सबसे ज्यादा चंदा देने वालों में एसोसिएशनें और यूनियनें शामिल हैं. सीपीएम को विभिन्न संघों से 1.09 करोड़ रुपये और कम्युनिस्ट पार्टी को 14.64 लाख रुपये विभिन्न संगठनों और यूनियनों से प्राप्त हुये.(एजेंसी )

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